नौकरशाहों ने पूछा कि अगर पीएम केयर्स फंड सार्वजनिक अथॉरिटी नहीं है तो प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री जो कि सरकार के सदस्य हैं, वह कैसे अपने पदनाम और अधिकारों की सहायता से इस फंड में ट्रस्टी हैं.
100 पूर्व सिविल सेवकों के समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करते हुए शनिवार को एक खुला खत लिखा है. पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि किसी भी शक को दूर करने के लिए और जनता को जवाब देने के लिए, पीएम केयर्स फंड में पारदर्शिता लाने की जरूरत है. साथ ही जनता को यह बताना चाहिए कि इस फंड में कितने पैसे आए और इन पैसों में से कितने का इस्तेमाल कहां हुआ है.
उन्होंने कहा हमारे पत्र लिखने का कारण यह था कि हमें आरटीआई के तहत पीएम केयर्स फंड की जानकारी देने से मना कर दिया गया और कहा गया कि यह सार्वजनिक प्रकरण नहीं है. इस वजह से हमें ओपन लेटर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखना पड़ा. नौकरशाहों ने पूछा कि अगर पीएम केयर्स फंड सार्वजनिक अथॉरिटी नहीं है तो प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री जो कि सरकार के सदस्य हैं, वह कैसे अपने पद नाम और अधिकारों की सहायता से इस फंड में ट्रस्टी हैं.
लेटर लिखने में इन बड़े अधिकारियों का नाम शामिल है
पीएम केयर्स फंड में पारदर्शिता लाने के लिए जिन 100 पूर्व नौकरशाहों ने पत्र लिखा है. इनमें पूर्व आईएएस अनीता अग्निहोत्री, एसपी एंब्रोस, शरद बेहार, सज्जाद हसन, हर्ष मंडेर, अरुणा राय, देव मुखर्जी, सुजाता सिंह, एससी बहर, के सुजाता राव, एएस दुलत जैसे कई बड़े अधिकारियों के नाम शामिल हैं.
रिटायर्ड सिविल सेवकों ने पीएम केयर्स फंड को लेकर कहा कि आज कई राज्य महामारी की चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं, जिनमें उन्हें वित्तीय सहायता की अधिक आवश्यकता है. हमें लगता है कि पीएम केयर्स फंड से राज्यों को मदद मिलनी चाहिए.